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जुलाई, 2020 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

एक नाम मिसाईल मैन लौट आए....

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नमस्कार दोस्तों,    मेरी आज की कविता का शीर्षक है  " एक नाम मिसाइल मैन लौट आए" ।   इस कविता के माध्यम से  डॉ कलाम जी की जीवन शैली को प्रकाशित किया गया है । उनके आरंभिक जीवन के संघर्ष से लेकर पूर्ण जीवन की सफलता को काव्य में व्यक्त किया गया है। आशा करती हूं यह कविता आपको पसंद आएगी और आप कमेंट में जरूर करें । काश ! कलाम सर का मुस्कुराता हुआ चेहरा वापस लौट आए, ख़ामोशी से सजी हुई, वीणा की तान वापस लौट आए।   हौंसलों से बुलन्द अपूर्त जहान लौट आए, आगामी स्कूल कॉलेज के छात्रों  के आदर्श लौट आए। बच्चों में बचपना और बुजुर्गों का अनुभव लौट आए, जीव -प्राणी से प्रेम , और ईमानदार छवि की पहचान लौट आए। अख़बार बेचते हुए, संघर्षवादी जीवन का उत्थान लौट आए, देश के  नए राष्ट्रपति बने,  वो कलाम सर की तस्वीर वाली अख़बार लौट आए। राष्ट्रपति भवन की शान Dr. A.P.J. अब्दुल कलाम लौट आए,  संदूक और 2 सूट वाले महान  लौट आए। प्रेरक विचारों से लिखी हुए किताबों के लेखक लौट आए, एयरोस्पेस का इंजीनियर लौट आए। रक्षा अनुसंधान का विकास लौट आए,  इसरो का अंतरिक्ष अनुसंधान लौ

मैं ढूँढता कहाँ हूँ.....

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नमस्कार दोस्तों ,           मेरी अगली कविता का शीर्षक है, " मैं ढूंढता कहाँ हूँ " । आशा करती हूँ हमेशा की तरह यह कविता  भी आपको पसंद आएगी और आप मेरी इस पोस्ट पर कमेंट और शेयर करना  न भूलें। मैं ढूंढता कहाँ हूँ... मैं तुम्हें कहाँ ढूँढूँ? हीरा समझ कर , कोयले की खान में ढूंढता हूँ। थकता बहुत हूँ, मगर हार नही मानता हूँ। मैं तुम्हें कहाँ ढूँढूँ ? चाँद समझ कर , आसमाँ के सितारों में टिमटिमाता हूँ। देखता बहुत हूँ, मगर नज़र नही आता हूँ।  तुम्हें कहाँ ढूँढूँ ? महज़बीन समझ कर  आईना के सामने मुस्कुराता हूँ। खुश बहुत हूँ, मगर फिर भी तुम्हें अपने से दूर पाता हूँ। प्रिय !अब मैंने तुम्हें ढूँढ लिया है... पूछो कहाँ? . . . अदृश्य समझ कर , तेरी तस्वीर बनाता हूँ। बाहर से ढूँढता बहुत हूँ, मगर अपने ही दिल के अंदर पाता हूँ। इस कविता को पढ़ने के लिए शुक्रिया ।भविय की पोस्ट ल् लिये इस ब्लॉग को फॉलो जरूर करें।

आत्मनिर्भरता ...

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हम आते  जाते  योजनाएं बनाकर  चले जाते हैं, दूसरों को सलाह देकर खुद मज़े से सो जाते हूँ, बनी बनाई योजनाओं को फिर भूल जाते हूँ, हर  बार मुसीबत पड़ने पर किसी न किसी पर निर्भर हो जाते हैं। जब ईश्वर ने मनुष्य को सद्बुद्धि दी  और कर्मठ काया , तो फिर क्यों किसी दूसरे इंसान को अपनी आड़ है बनाया ? अपने काम के लिए दूसरों पर निर्भर होकर ,कोई वजूद नही रहता है, अगर हमारा पेट बग़ैर मेहनत किए ही भर जाता है।  माना कि बाहर से तो  पेट भर गया ,  मगर अंदर से दिल संतुष्ट नही होता है। आस पड़ोस सबका एक जैसा ही हाल हो जाता है , काम शुरू कौन करेगा? इस ख्याल से सब बेचैन हो जाते हैं। मानता हूं इस दुनिया ने लोगो को खूब दौड़ाया है, लेकिन इसी लम्बी दूरी के बाद  आत्मनिर्भर  भी तो बनाया है। बड़े बड़े  देशों ने है हिन्दुस्तान के आगे  सर  झुकाया है,  कड़ी मेहनत करके सबने खूब पसीना बहाया है। आत्मनिर्भर बनकर  कर देंगे विश्व पटल पर धमाल, सारी  दुनिया देखेगी, हिंदुस्तान में  हुआ है कमाल। अब दोबारा ये गलती नही दोहराएंगे,  न अब  चीनी खिलौना खरीदेंगे  न पाकिस्तानी पान खाएंगे। आत्मनिर्भर भारत की नींव रखेंगे,  वस्तुओं का निर

मिल-बाँट कर खाने की रीति बनाएँ

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  नमस्कार दोस्तों मेरी आज की कविता एक चिड़िया की व्यवहारिक  जीवन  पर केंद्रित है, आशा करती हूँ आप सबको पसन्द आएगी , कविता पढ़ने के साथ ब्लॉग को subscribe जरूर करें। सुबह के वक़्त वो डाल पर बैठकर चहचहाती है, मुझे सोई हुई को गहरी नींद से जगाती है। मेरे पास जाने से वो अपने पंख फड़फड़ाती है, फुर्ती से  खोलकर पंख वो डरती हुई उड़ जाती है। थोड़ी देर में वापस उसी डाल पर चीं-चीं करके बुलाती है, अंगूर की बेल पर अपनी तेज़ नज़र मुझ पर दौड़ती है। पक्के अंगूर के गुच्छे देखकर मेरी जीभ से ललचाते हुए लार टपक जाती है, अंगूर के पास जाकर ,कच्चे अंगूर खाने से मेरी आँख मिचमिचाती है।  मेरे बेल के भीतर जाने से , चिड़िया छत पर लौट जाती है, किन्तु जाते -जाते  पक्के अंगूरों को जूठा कर जाती है।  मैं भी बेल से जूठे अंगूर  तोड़कर फेंक आती हूँ, चिड़िया तो फिर अगले दिन पक्के हुए अंगूर चख जाती है। कुछ पल  मेरी और चिड़िया की पकड़न पकड़ते चलती है, छोटी सी चिड़िया हमसे न पकड़ी जाती है। फिर इसी प्रतियोगिता के चलते एक बात समझ में आती है, अन्न- जल सब  खाद्यान पर मनुष्य के साथ जीव-जंतु का भी हिस

YOG life.

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If you spend a single day without yog, then your day is incomplete even if you achieve everything else.  Doing yog everyday develops your inner energy  that is way to live life blissful .#GOodmorning #motivational #yoglife #introvert.💐💐💐

"युद्ध या शान्ति"

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मेरी यह अगली कविता  है इसका शीर्षक है " युद्ध या शान्ति"  इस कविता को जरूर पढ़े और कमेन्ट के जरिए बताएं कैसी लगी । यह कविता ऐसे विषय पर आधारित है जिसमे हकीकत से दूर काल्पनिक युद्ध की कामना करते हैं जो देश अथवा समाज के लिए  सही नही है। बिना मतलब युद्ध की बात करते हो, युद्ध इस  शब्द को तुम मज़ाक समझते हो। घर बैठकर  तुम ज़ुबान लड़ाते हो, सीमा पर डटे सैनिकों का , न तुम कभी हाल  जानते हो। अपने घर की चारदीवारी का मसला तुमसे मिटता नही, सीमा के मसले पर तुम राष्ट्र में विवाद  करते हो। सुरक्षित बैठे दहाड़ने  के नाटक क्यूँ करते हो, जाकर खुद तुम सीमा पर क्यों नहीं लड़ते हो। युद्ध की ख़ामियाज़ा तुम क्या जानते हो , शहीद सैनिक की माँ को तुम नही पहचानते हो। युद्ध का इतिहास काल तुम, कभी नही पढ़ते हो, ये धरती कितनी लहूलुहान हुई है, ये  जख़्म कभी तुम नही देखते हो। आसान नही जो तुम, ये  युद्ध - युद्ध करके  चिल्लाते हो, इंसान नही हो तुम ,अगर शान्ति प्रस्ताव को समझ न पाते हो । गर पता नही मैदानी लड़ाई का, तो मत चिल्लाया करो, कभी युद्ध के मैदान की हकीकत में तुम भी जाया करो। जो  आपस में ल

Love for Lord Shiva

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Visiting a shiva  temple on  Monday mornings is more enjoyable peaceful, intellectual lovely , prosperous and beautiful rather  than dating a girl for whole week❤️ Om namoh shivay 💐💐💐

ऑनलाइन पढ़ाई की रीत है आई✍️✍️

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स्कूल में छोड़ कर  ,मास्टर जी की सख़्त करवाई, अब बिना कागज़ और सियाही के हो रही पढ़ाई। अनपढ़ माँ-बाप ने पूछ कर लॉगइन आई डी ली बनवाई, जिन्होंने पहले खुद कभी कोई किताब न थी उठाई। अपने ज़माने में भले उनको स्कूल की खबर न  हुई  , मगर अब वक़्त के साथ एक-एक करके सब ज़मात ऑनलाइन ली लगाई। कहाँ से ऑडियो, वीडियो का बटन दिया दबाई,  ये ज़ूम् और गूगल  एप्प की तकनीक बहुत बार चलाकर समझ न आई। बच्चों के साथ खुद के दिमाग़ की भी  हो रही खपाई, अनपढ़ माँ -बाप ने कैसे ऑनलाइन पढ़ाई करवाई। जिन विद्यार्थियो ने बड़ी ज़मात में एडमिशन ली है कराई, उन्होंने  खुद  सुबह से शाम तक फ़ोन में गर्दन झुकाकर  नजरें रखी हैं गढ़ाई। कैसे समझाएं  घर वालो को , क्या होती है ये ऑनलाइन पढ़ाई, माँ बाप भी इंजतार में है  इम्तिहान की घड़ी जल्दी क्यों न आई। हर महीने पढ़ाई की सुविधा के लिए महँगे नेटवर्क वाला  नैट पैक  लिया  लगवाई, इसी बहाने यूट्यूब , व्हाट्सप और  फेसबुक भी मज़े से लिया चलाई। सीख कर पढ़ाई के साथ कुछ कला, फिर  प्रतियोगिता में भी किस्मत को लिया आजमाई धीरे धीरे आदत होने लगी है अब  घर में  बैठे मज़े से हो रही ऑनलाइन पढ़ाई। कृ