सुकून के पल
कड़कती धूप में तपते हुए, मुसाफ़िर को,
पेड़ की छाँव में टहल जाने से सुकून मिलता है।
चार बूंदे बारिश की ज़मीन पर, बरस जाने से,
प्यास से तड़पती हुई जमीं को सुकून मिलता है।
पत्थरों के रास्ते बहती हुई ,नदी की जलधारा को,
समुद्र की गहराई में थम जाने पर सुकून मिलता है।
रूठे हुए ईश्क़ के बन्दे को,मोह माया का जाल छोड़कर ,
अकेले में बैठ कर खुद से मिल जाने में सुकून मिलता है।
जिम्मेदारियो के बोझ से दबे हुए वयस्क को,बूढ़ी माँ के आँचल में
आँखे बंद करके सो जाने से सुकून का पल मिलता है।
कृप्या करके इस पोस्ट को ज्यादा से ज्यादा शेयर, लाइक , और फॉलो करें । धन्यवाद।
वाह छाया जी वाह👌👌
जवाब देंहटाएंकविता के प्यासे को , आपकी कविता पढ़कर भी सुकून मिलता है...
Dhnyavad ji
हटाएंफॉलो हमनें कर दिया है, आपके भी फॉलो बैक का intezaar rhega
जवाब देंहटाएंKrna kaise h follow back I will
हटाएंWah g kya baat hai
जवाब देंहटाएंशुक्रिया जी
जवाब देंहटाएंबहुत हि खुबशुरत कविता है!
जवाब देंहटाएंशुक्रिया जी 💐
हटाएंVery very very nice...
जवाब देंहटाएंFull of emotions and feelings...
Superb poem...👌👌👌👌💐💐💐❤️❤️❤️🙏🙏🙏
बहुत बहुत धन्यवाद जी💐
हटाएंभावनाओं से भरी हुई पंक्तियां
जवाब देंहटाएंशुक्रिया जी 💐💐
हटाएंPdh k sukun mila yr apki poetry
जवाब देंहटाएंThank you so much ji
हटाएंBahut khob👏👏
जवाब देंहटाएंThank you so much ji
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