सुकून के पल

कड़कती धूप में तपते हुए, मुसाफ़िर को,
पेड़ की छाँव में टहल जाने से सुकून मिलता है।

चार बूंदे बारिश की ज़मीन पर, बरस जाने से,
प्यास से तड़पती हुई जमीं  को सुकून मिलता है।

पत्थरों के रास्ते बहती हुई ,नदी की जलधारा को,
समुद्र की गहराई में थम जाने पर सुकून मिलता है।

रूठे हुए ईश्क़ के बन्दे को,मोह माया का जाल छोड़कर ,
अकेले में बैठ कर खुद से मिल जाने में सुकून मिलता है।

जिम्मेदारियो के बोझ से दबे हुए वयस्क को,बूढ़ी माँ के आँचल में
आँखे बंद करके सो जाने से सुकून का पल मिलता है।

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टिप्पणियाँ

  1. वाह छाया जी वाह👌👌
    कविता के प्यासे को , आपकी कविता पढ़कर भी सुकून मिलता है...

    जवाब देंहटाएं
  2. फॉलो हमनें कर दिया है, आपके भी फॉलो बैक का intezaar rhega

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत हि खुबशुरत कविता है!

    जवाब देंहटाएं
  4. Very very very nice...
    Full of emotions and feelings...
    Superb poem...👌👌👌👌💐💐💐❤️❤️❤️🙏🙏🙏

    जवाब देंहटाएं
  5. भावनाओं से भरी हुई पंक्तियां

    जवाब देंहटाएं

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