कभी -कभी हमें.... .... तुम याद आते हो ।

 नमस्कार दोस्तों, हमारी आज की कविता का शीर्षक है ,
कभी -कभी हमें....
                     .... तुम याद आते हो ।
हम आपसे उम्मीद करते हैं, कि आप यह कविता जरूर पढ़ेंगे और  अंत में कमेन्ट करके ज़रूर बताएंगे कि हमारी यह कविता आपको कैसी लगी ? इससे आगे  पंक्तियां हैं :-
1) कभी -कभी हमें  वो बीती हुई ,घड़ियाँ याद आती हैं,
जब हम दिल के पैग़ाम लिए ,
उनके क़रीब से ख़ाली गुज़र जाते थे।
2) कभी -कभी हमें वो चोट खाए हुए ,घावों के निशान याद आते हैं ,
जब हमारे घावों पर ,तुम्हारे कोमल हाथों के स्पर्श मात्र से  मरहम और दारू का असर लगता था।
3)कभी -कभी हमें वो तुम्हारा गुस्से वाला चेहरा नज़र आता था ,
जब तुम्हारी लाल आँखों में , प्रेम की चाह के अश्रु प्रवाहित होते थे।
4)कभी -कभी हमें तुम्हारी , वो बर्दाश्त की हुई नाराज़गी याद आती थी,
जब तुम्हारे बुराँश के फूल से  खिले होंठो से गूँजती नज़्मो को आवाज़ धीमी हो जाती थी।
5) कभी -कभी  हमें तुम इतना याद आते हो ,इतना ज़्यादा याद आते हो ,
कि हम तुम्हें याद करते-करते ,अपने आप को खो जाते हैं।❤️ 

शब्दार्थ:-
पैग़ाम-संदेश, message 
स्पर्श-छूना ,Touch
कोमल -नर्म ,soft 
अश्रु- आँसू ,tears 
बर्दाश्त -सहन करना ,
बुराँश -वृक्ष ,tree
धीमा-हल्का ,low 

ऊपर लिखी गयी कविता की पँक्तियों को पढ़ने के लिए शुक्रिया  करती हूँ । पाठकों द्वारा दिए गए ख़ामियों के सुझाव ही एक कवि के अग्रिम लेखों को सुधार सकते हैं । इसलिए अगर कोई भी उचित सुझाव हो ,तो जरूर बताएं उसे सीखने की भावना से ठीक किया जाएगा ।  धन्यवाद 🙏🙏



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