किसको पता था...चले जाना है ।

नमस्कार दोस्तों मेरी आज की कविता का शीर्षक है ,किसको पता था.... चले जाना है । इस्  पताथा
कविता के माध्यम से में आज  जिंदगी से जुडी कुछ अहम पहलुओं पर शाब्दिक  दर्शन डालते  हुए प्रकाशित किया है । इस कविता को बहुत कम शब्दों में पूरा बात का व्याख्यान किया है।मेरी  पुरानी कविताओं की तरह इस कविता को भी आपका ढेर सारा प्रेम मिलेगा । और कविता को पढ़ कर आप आनंद मिले इस बात की कामना करती हूं।  कविता के अंत में अपने मूल्यवान  कमेंट करने न भूलें। आपके द्वारा किये हुए कमेंट  शेयर और subscibe ही   मेरी कविता की प्रेरणा का स्त्रोत होते हैं। तो आज की कविता इस तरह से नीचे प्रकाशित की गयी है ....

किसको पता था
चले  जाना है ..
जिस दुनिया से आए थे
वापस उसी दुनिया में मुड़ जाना है।
किसको पता था
चले जाना है....
भाग-दौड़ कर  रहे थे आराम करने के लिए,
आराम छोड़कर ही भाग रहे थे।

किसको पता था 
चले जाना है....
यहाँ - वहाँ  जहाँ भी जा रहे थे ,
उसी जगह ख़ता खा रहे थे।
किसको पता था 
चले जाना है...
कुछ अधूरे किस्से  थे ,
जिनको पूरा सुना रहे हैं।

किसको पता था,
चले जाना है...
चलते चलते गले मिले थे ,
गले मिलकर चले गए।
किसको पता था ,
चले जाना है ...
हकीकत तो मरना ही है,
फिर भी जिदंगी को मज़ाक में  जी रहे थे।

पढ़ने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया दोस्तों 
 यह काव्य संग्रह कैसा लगा जरूर कमेंट करें। और जल्दी ही अगली पोस्ट प्रकाशित होने का  इन्तजार करें । आपका दिन शुभ हो ।

टिप्पणियाँ

  1. अति सुंदर, जीवन के सत्य को बहुत कम और सटिक शब्दों से बयां किया है।

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  2. वाकिफ सब होते है की एक दिन जाना है,
    जिंदगी तो बस रुकने का एक बहाना है ।

    जवाब देंहटाएं
  3. Insan ne bhag dhod me hi apni zindgi ktham kr leta h is life m aakr wo us rab ko bhul kr khud ko rab manne lgta h pr wo yeh bhul jata h ki ji mitti se peda huye the ek din usi me mil jaoge hmesha hi apna maksad mat bhulo bs us rab ka naam yaad rakho bahut achi story h chhaya ji nice 🙏🙏🙏

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