आत्मनिर्भरता ...
हम आते जाते योजनाएं बनाकर चले जाते हैं,
दूसरों को सलाह देकर खुद मज़े से सो जाते हूँ,
बनी बनाई योजनाओं को फिर भूल जाते हूँ,
हर बार मुसीबत पड़ने पर किसी न किसी पर निर्भर हो जाते हैं।
जब ईश्वर ने मनुष्य को सद्बुद्धि दी और कर्मठ काया ,
तो फिर क्यों किसी दूसरे इंसान को अपनी आड़ है बनाया ?
अपने काम के लिए दूसरों पर निर्भर होकर ,कोई वजूद नही रहता है,
अगर हमारा पेट बग़ैर मेहनत किए ही भर जाता है।
माना कि बाहर से तो पेट भर गया ,
मगर अंदर से दिल संतुष्ट नही होता है।
आस पड़ोस सबका एक जैसा ही हाल हो जाता है ,
काम शुरू कौन करेगा? इस ख्याल से सब बेचैन हो जाते हैं।
मानता हूं इस दुनिया ने लोगो को खूब दौड़ाया है,
लेकिन इसी लम्बी दूरी के बाद आत्मनिर्भर भी तो बनाया है।
बड़े बड़े देशों ने है हिन्दुस्तान के आगे सर झुकाया है,
कड़ी मेहनत करके सबने खूब पसीना बहाया है।
आत्मनिर्भर बनकर कर देंगे विश्व पटल पर धमाल,
सारी दुनिया देखेगी, हिंदुस्तान में हुआ है कमाल।
अब दोबारा ये गलती नही दोहराएंगे,
न अब चीनी खिलौना खरीदेंगे
न पाकिस्तानी पान खाएंगे।
आत्मनिर्भर भारत की नींव रखेंगे,
वस्तुओं का निर्माण करके हिंदुस्तान को आत्मनिर्भर बनाएंगे।
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