संस्कार भी जरूरी होते हैं...


  •  सारा जमाना हाथ में फोन लेकर बहरा हुए जा रहा है
दिनभर सोशल मीडिया पर पोस्ट  लगा कर मुस्कुरा रहा है।
  •  दूसरों को अनसुना कर , अपनी   बात ही सुनाए जाते हैं
किसी ठीक बात को गलत और  गलत को ठीक ठहराते हैं।
  • माँ-बाप  हमारे सामने सुबह से शाम तक काम करते हैं
नौजवान कोई बहाना बनाकर लाचार हो जाते हैं।
  • घर की इज्ज़त को लेकर , घरवाले छोटी कहासुनी को छुपाते हैं,
बेइज्ज़त होकर फिर वही, घरवालो पर भी हाथ उठाते हैं।
  • अपना समझकर जो अपने होते हैं ,वो तो नजरअंदाज  कर देते हैं
 मगर फिर वो अपनों के दिलो में भी घाव कर देते हैं।
  • पड़ोसी की हिंसा देख कर सब लोग मज़ाक उड़ाते हैं
टीवी  वाले भी खबर को और रोचक बनाकर दिखाते हैं।
  • गाँव में धक्का मुक्की ,मारपीट आम बात बन जाती है
हिंसा देख-देख कर शहरों में तो, गोली तक चल जाती है।
  • बेबस होकर न्याय का दरवाजा खटखटाते हैं
पैसे का धंधा समझकर वकील केस की तारीख बढ़ाते हैं।
  • किसी सरकारी मुज़रिम का सहारा  लेकर, केस से छुटकारा पाते हैं
दोबारा फिर से वही गलती गुस्ताख़ी  दोहराते हैं।
  • बार बार की ये बात एक दिन आदत बन जाती है
और ये एक आदत पूरा मोह्हला  बिगाड़ जाती है।
  • इस दुनिया में कौन अपना है, सोचकर दिल बहुत दुखता है
एक कदम अच्छाई का आगे बढ़ाएं, तो पिछला कदम फिसलता है।
  • हर तरफ़ ख़ुशी ढूँढकर ग़म नसीब में  मिलता है
फिर सच्चाई की राह  में अकेले ही आगे बढ़ता है।
  • किसको बदलूँ,कैसे बदलूँ ,सवाल पे सवाल पूछता हूँ
चल कानून न बदल सकूँ, तो एक तरफ सबके संस्कार बदलते हैं ।
  • सच कहूँ तो दो घडी बुजुर्गों के साथ बैठ जाता है
खोयी हुई दुनिया में फिर से अपनापन पाता  हूँ।
इसीलिए तो कहते हैं, संस्कार भी  जरूरी होते हैं।


टिप्पणियाँ

  1. Bhut sahi bat kahi dear..
    Aj ke jamane me yhi h.phone ke age kuch nhi dikhta kisi ko.well penned keep inking beautifully like this forever👍👍😍😍😍❤️❤️👏👏👏

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