"युद्ध या शान्ति"
मेरी यह अगली कविता है इसका शीर्षक है " युद्ध या शान्ति" इस कविता को जरूर पढ़े और कमेन्ट के जरिए बताएं कैसी लगी । यह कविता ऐसे विषय पर आधारित है जिसमे हकीकत से दूर काल्पनिक युद्ध की कामना करते हैं जो देश अथवा समाज के लिए सही नही है।
बिना मतलब युद्ध की बात करते हो,
युद्ध इस शब्द को तुम मज़ाक समझते हो।
घर बैठकर तुम ज़ुबान लड़ाते हो,
सीमा पर डटे सैनिकों का , न तुम कभी हाल जानते हो।
अपने घर की चारदीवारी का मसला तुमसे मिटता नही,
सीमा के मसले पर तुम राष्ट्र में विवाद करते हो।
सुरक्षित बैठे दहाड़ने के नाटक क्यूँ करते हो,
जाकर खुद तुम सीमा पर क्यों नहीं लड़ते हो।
युद्ध की ख़ामियाज़ा तुम क्या जानते हो ,
शहीद सैनिक की माँ को तुम नही पहचानते हो।
युद्ध का इतिहास काल तुम, कभी नही पढ़ते हो,
ये धरती कितनी लहूलुहान हुई है, ये जख़्म कभी तुम नही देखते हो।
आसान नही जो तुम, ये युद्ध - युद्ध करके चिल्लाते हो,
इंसान नही हो तुम ,अगर शान्ति प्रस्ताव को समझ न पाते हो ।
गर पता नही मैदानी लड़ाई का, तो मत चिल्लाया करो,
कभी युद्ध के मैदान की हकीकत में तुम भी जाया करो।
जो आपस में लड़ते और लड़ाते हैं,
उन्हें भी ये बात समझाया करो,
देश के लिए आपस में लड़ने का वक्त नही,
कभी कभी तुम भी सीमा पर जाया करो।
सीमा पर डटे निर्भीक सैनिको को सम्मान में हाथ आगे बढ़ाया करो, सबको देशप्रेम और एकता का पाठ पढ़ाया करो।
धन्यवाद दोस्तों ,
जय हिंद जय भारत।🇮🇳🇮🇳🇮🇳
Awesome as always 👍👍 and a bitter truth
जवाब देंहटाएंThanks alot dear
हटाएंबहुत सुंदर आपकी तरह।��
जवाब देंहटाएंThank you so much
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