आज़ादी बूटे दी...
नमस्कार दोस्तों मेरा आज के लेख का नाम "आज़ादी बूटे दी" है। बूटा पौधे को कहा जाता है। इस लेख का प्रकाश हमारे पर्यावरण से हो रही मौलिक छेड़छाड़ से सम्बंधित है । आप इस लिख को जरूर पढ़ें और आपसे विनति है कि आप पर्यावरण के बचाव में सहयोग जरूर ऱखे। आज का लेख इस तरह से निम्लिखित है। आजादी बूटे दी.... न जाने आने वाले कल का गुजारा कैसे होगा? यह प्रश्न अक्सर उन लोगों के जुबाँ से निकलता है जिन्होंने अपनी जिंदगी में प्रयासरत कार्य किए होते हैं। मेहनत जिंदगी का एक ऐसा कर्म है जिसके बिना जिंदगी अधूरी है । और जो मेहनत करता है उसको जिन्दगी में फल भी मिलता है भले ही यह फल देर से मिले । अब मेरे मन में एक विचार इसी पहलू से आलंकित आया है , जिसमे किसान अपने खेतों में पेड़ लगाते हैं। कुछ पेड़- पौधे फलहारी होते हैं तो अन्य पेड़ -पौधो का उपयोग अन्न या घास चारा लकड़ी आदि के उपयोग में आता है । इसी बीच किसानों ने जो पेड़ खेतो में लगाए होते हैं ।उन पेड़ों का एक बहुत ही महत्वपूर्ण उपयोग तब होता है ,जब कड़ी धूप में काम करने के पश्चात किसान आराम करने के लिए पेड़ की ठण्डी छाया में बैठते हैं।