पसन्द है न बारिश का आना .....

 नमस्कार दोस्तों ,
              मेरी आज की कविता का शीर्षक है , "बारिश का आना" इस कविता के माध्यम से वर्षा की उस स्तिथि का व्याख्यान है जिसका हर कोई लुत्फ़ उठाना चाहता है, इसीलिए आइए आज आपको काल्पनिक वर्षा से आनंदित करवाते  हैं।

बारिश का आना .....🌧️🌧️

अच्छा लगता है हमें बारिश का आना,
सावन में रिमझिम का बारिश का हो जाना।
बारिश की धीमी बूँदों  का छत से  टपक जाना ,
 फिर छज्जे से टिप -टिप को देख कर ,
हमारा कमरे से बाहर आ जाना,
फिर  बाहर आँगन में आकर अपनी बाहों  को फैला देना।

 अच्छा लगता है ,हमें गर्मियों में हवा का ठंडा हो जाना,
और उस सुकून से भरी ठंडी हवा में हमारा राहत की साँस लेना।

पहली ही बारिश में नहाते हुए ख़ुशी मनाना,
चिलचिलाती गर्मी से चैन की जन्नत  पाना।

हाँ ,अच्छा लगता है हमें बारिश का आना ,
 हमारा गर्दन ऊपर करके आसमाँ की तरफ चेहरा 
मुस्कुराते हुए ख़ुशी में झूम जाना ।
गर्म हवाओं  के बीच बारिश को बुलाना, ज़मीन के क्षेतिज समांतर हाथों  को  फैलाना
 और गोल गोल घूमते हुए भीग जाना।


हाँ अच्छा लगता है मुझे बारिश का आना ,
  बहुत देर तक शीतल जल से नहाना,
भीगते हुए चेहरे का आकर्षण बढ़ जाना,
 बारिश की बूँद से  सुंदरता में निखार आना ,

 हाँ अच्छा लगता है हमे बारिश का आना ,
तूफ़ान में उड़ते हुए कपड़ो को संभालना,

हाँ अच्छा लगता है हमे बारिश का आना ,  
  साबुन, मग, और बाल्टी के बिना नहाना,
 और पानी का बचाना।
हाँ अच्छा लगता है हमे बारिश का आना,
 और उस बारिश की गिरती हुए एक एक बूँद को  व्यर्थ होने से बचाना,
  अपने घरो में रखे हुए बर्तनों को  खेलते खेलते भर लेना,
  अपने पड़ोसियो को भी बारिश की  अहमियत बताना।

शुक्रिया दोस्तों,  ये कविता कैसी लगी , कमेंट बॉक्स में बताना न भूलें । जय हिंद, जय भारत ।🇮🇳🇮🇳
  

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